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रिश्ते

prayas
prayas
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रिश्ते हमें हंसाते है ,
रिश्ते ही हमे रुलाते है !
नए रिश्तों के बनने का सुख ,
पुराने रिश्तों के टूटने का दुःख,
हमारे जीवन पर छा जाता है,
खुश या ग़मगीन बना जाता है !
रिश्ते सिर्फ खून के ही नहीं होते,
ये मन के भी होते है,
जो बस मन का सुख-दुःख बांटते है,
मन को संतुष्ट कर जाते है,
सम्पूर्णता का आभास कराते है !
खून के रिश्ते तो वे होते ही है ,
जो साथ-साथ हँसते-रोते है !
यही सच है कि
रक्त-सम्बन्ध मौन में भी शोर ढूंढ़ लेता है,
हमारी धड़कन क्या कहती-सुनती है ,
बिना बोले ही जान लेता है !
स्वार्थ तले कभी-कभी,
रिश्तों का सच बाहर आ जाता है ,
और अपनों के आस्तित्व पर,
कालिमा बन छा जाता है!

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